1945 में ली गई यह ऐतिहासिक तस्वीर बताती है कि- श्याम सिंह रावत
1945 में ली गई यह ऐतिहासिक तस्वीर बताती है कि उन दिनों मरीजों के ऑपरेशन करने की व्यवस्था कुछ ऐसी थी। जिसमें ऑपरेशन रूम एक थिएटर की तरह बनाए जाते थे। कमरे के आसपास एक बड़ी गैलरी होती थी, जहां आगंतुक भी मौजूद रहकर ऑपरेशन होते हुए देख सकते थे।
इस तस्वीर को देखकर समझा जा सकता है कि नीचे ऑपरेशन चल रहा है और ऊपर बालकनी से छात्र और नर्स ठीक ऐसे देख रही हैं, जैसे थिएटर में मूवी देख रहे हों।
संभवत: यही कारण है कि हम आज भी ऑपरेशन रूम को 'ऑपरेशन थिएटर' कहते हैं। क्या आपने पहले कभी सोचा था कि जिस कमरे में ऑपरेशन किया जाता है उसे ऑपरेशन थिएटर क्यों कहा जाता है?
सर्जरी के वर्तमान समय की शुरुआत में यह एक सार्वजनिक घटना थी। जो कोई भी व्यक्ति चारों ओर पड़े हुए मानव के आंतरिक अंगों वाले खुले दृश्य को सहन कर सकता था, उसे ऑपरेशन कक्ष में सर्जरी देखने की अनुमति दी जाती थी। कल्पना कीजिए कि लीवर ट्रांसप्लांट या किसी अन्य सर्जरी प्रक्रिया को देखने की अनुमति दी जाए तो वहां सभी तरह के बैक्टीरिया का संक्रमण भी हो सकता था। जो आज काफी अवास्तविक लगता है।
यह संज्ञाहरण (एनस्थीसिया) के पहले वाला समय था। वहां कुछ लोगों को केवल इसलिए प्रवेश करने की अनुमति दी जाती थी ताकि वे रोगी को शांत करने में मदद कर सकें। कितना दर्दनाक होता होगा वह दृश्य, जब रोगी के होश में रहते ही उसका पित्ताशय निकाल दिया जाता था। इससे पहले कम से कम एक वरिष्ठ व्यक्ति को बताया जाता था कि उसकी जिम्मेदारी सर्जरी के दौरान रोगी को मजबूती से पकड़े रखने की होगी।
उस समय भी पुरुष-सत्तात्मक नियम बहुत अधिक प्रमुख थे। सन 1870 तक महिलाओं को ऑपरेशन थियेटर में मरीजों के रूप में प्रवेश करने की अनुमति नहीं थी लेकिन महिला नर्सों को केवल मरीज की सहायता के लिए इजाजत प्रदान की जाती थी। नर्सों को रोगियों को तैयार करने, सर्जरी के दौरान सहायता करने और सर्जरी के अंत तक वहां ठहरने की अनुमति नहीं दी जाती थी। सन 1920 के दशक तक नर्सों को उपकरणों को शल्यकों को देने और संज्ञाहरण का संचालन करने की अनुमति नहीं दी गई थी। तब तक कमरे में कम से कम एक वरिष्ठ व्यक्ति इन कर्तव्यों का पालन करता था।
वर्ष 1870 तक चिकित्सा समुदाय को ऑपरेटिंग कमरे में स्टेराइल प्रोटोकॉल की संवेदनशील एवं महत्वपूर्ण प्रकृति के बारे में पता था। जब 1945 में यह तस्वीर ली गई थी, तब ऑपरेटिंग रूम में स्टेराइल वातावरण रहता था और दर्शकों को दूर रखा जाता था।
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