दो दिनों तक हुआ जन्मोत्सव
दो दिनों तक हुआ जन्मोत्सव
प्रेम व भक्ति में डूबा मनोभाव
कन्हैया ही कन्हैया छा रहे थे
बाल रूप में नज़र आ रहे थे
कन्हैया याद में व्रत निभाया
मिठाई बनाई ,भोग लगाया
कन्हैया के गुण कितने पाए
क्या उन पर हम चल पाए
ईर्ष्या, द्वेष, लोभ क्या छोड़ा
काम,अहंकार ,मोह क्या छोड़ा
सोलह कला सम्पन्न है कृष्ण कन्हैया
उन जैसे बन कर दिखाओ तो भैया।
----श्रीगोपाल नारसन
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