अनपढ़ रखेंगे इंडिया, तभी तो बर्बाद होगा इंडिया!
अनपढ़ रखेंगे इंडिया, तभी तो बर्बाद होगा इंडिया!
माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर के चेले अटल बिहारी वाजपेयी ने 1999 में अपने प्रधानमंत्रित्व काल के दौरान अरुण शौरी की अगुवाई में देश की बहुमूल्य सम्पत्तियों को निजीकरण की भेंट चढ़ाने के लिए अपनी सरकार में विनिवेश मंत्रालय के तौर पर एक अनोखा मंत्रालय का गठन कर जिस तबाही की शुरुआत की थी, उसने आज इतना विकराल रूप धारण कर लिया है कि अब बात आइटीआइ जैसी रोजगारपरक प्रशिक्षण देने वाली इकाइयों तक को पूंजीपतियों के हवाले करने पर आ पहुंची है।
यदि आप मोदी की नई शिक्षा नीति और निजीकरण को एक साथ जोड़ कर देखेंगे तो आपको सबकुछ पूंजीवाद को सौंप देने की तेजी साफ दिखाई दे जाएगी। संघ-भाजपा की निजीकरण की यह दुर्नीति देसी-विदेशी कार्पोरेट घरानों को आर्थिक रूप से मजबूत करने की कवायद है और यह नई शिक्षा नीति गोलवलकर द्वारा तैयार किये गये ब्ल्यूप्रिंट के अनुसार उद्योगपतियों के लिए सस्ते मजदूर तैयार करने की योजना है। संघ-भाजपा देश को साम्प्रदायिकता की आग में झोंककर पूंजीपतियों को और भी अधिक अमीर तो गरीबों को और भी ज्यादा कंगाल बनाने की राह पर सरपट दौड़ रही हैं।
पनिजीकरण को बढ़ावा देते हुए अब उत्तर प्रदेश के 40 आइटीआइ को निजी हाथों में सौंपने की तैयारी हो गई है। यहां सोचने की जरूरत है कि अभी तक छात्रों को आइटीआइ की मासिक फीस सिर्फ 40 रुपए अदा करनी होती है, यानी कि साल भर की पढ़ाई 480 रुपए में हो जाती है लेकिन निजीकरण के बाद यह फीस 480 रुपए सालाना से बढ़कर 26 हजार रुपए तक हो जाएगी। अर्थात यह शुल्क वृद्धि 54 गुना अधिक हो जायेगी।
इस पर भी कुछ मूर्ख अंधभक्त यहां आकर निजीकरण का कीर्तन करने लगेंगे। जबकि इनको यह समझने की जरूरत है कि देश को तबाह करना देशभक्ति नहीं होती और मोदी जैसे सर्वथा अयोग्य व्यक्ति देश का भला कभी नहीं कर सकते।
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