पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने लिखा पत्र
आदरणीय श्री भगत व भगत बनाने वाले, दोनों सख्त गुस्से में हैं। मुझसे गुस्से में हैं या रायते से या #मां_गंगा जी के संदर्भ में लिखे पत्र से, स्थिति साफ नहीं है। यूं जब भी श्री भगत, दशरथ के संवाद बोलेंगे तभी तो #वनवास का दृश्य आयेगा। भगत जी, कालनेमि तो बहुत बाद में आयेगा, पहले आप 2022 में होने वाले वनवास का दृश्य तो लाईये। स्क्रैप चैनल में आपको व आदरणीय श्री सतपाल जी को ढेरों #बिल्डर्स नजर आ रहे हैं। सरकार आपकी है, जांच बैठाईये व बिल्डर्स के नाम सार्वजनिक करिये। देखियेगा कहीं स्क्रैप चैनल के आदेश से लाभान्वितों में आपको ढेरों अपनों के साथ एक श्रीमान आदरणीय भी न दिखाई दें। आपको स्मरण करा दूं, एक बार, एक अवैध निर्माण को लेकर दो मंत्री भिड़ गये थे, तब इसी स्क्रैप चैनल वाले आदेश ने अवैध निर्माण टूटने से बचाया था। श्री भगत जी ने मुझे दो अच्छे काम याद दिला दिये हैं। श्री #मोदी_सरकार ने #उत्तराखंड के विशेष राज्य का दर्जा समाप्त किया है और अभी-अभी हमारा औद्योगिक पैकेज भी समाप्त हुआ है, एक उपवास तो इन दो मांगों को लेकर बनता है, भगत जी विपक्ष धर्म यही है और हम आपका आदर करते हैं, आपके संकेत को आगे बढ़ाएंगे। आदरणीय #सतपाल_महाराज जी का गुस्सा पूर्णतः है स्वभाविक है, मैं जब-जब #त्रिवेंद्र पूरे 5 साल कहता हूं, सत्ता के अंगूर उनसे उतने ही दूर व खट्टे हो जाते हैं। #महाराज अपने प्रवचनों के तर्ज पर बयानों में भी कुछ ईरान की, कुछ तुरान की जोड़कर परोस देते हैं अन्यथा उन्हें अच्छी प्रकार मालूम है कि, हृदय विदारक #रामपुर_तिराहा कांड का एक अभियुक्त किस पार्टी व नेता का दुलारा है। यदि सचमुच में आदरणीय श्री सतपाल, "#महाराज" जी हैं, तो सत्य को स्वीकार करेंगे और रामपुर तिराहा कांड के उपरोक्त अभियुक्त का नाम लोगों के सामने लायेंगे। आदरणीय सतपाल जी को सड़क पर मेरा जलेबी, पान या भुट्टा खाना, लोगों से हाथ मिलाना व गले लगना, इतना बुरा लगा कि मेरी सारी चुनावी हारों का ठीकरा, मेरी इन आदतों पर फोड़ दिया है। सतपाल जी, जीतूं या हारूं मेरी आदतें मेरे साथ ही जायेंगी। हां-कहीं लोगों की समझ में आ गया कि, आप क्यों हाथ नहीं मिलाते हैं व उनके साथ खाना क्यों नहीं खाते हैं और उन जैसा नाम श्री सतपाल रावत क्यों नहीं लिखते हैं, तो मामला गड़बड़ा जायेगा। धन्य हैं आदरणीय सतपाल जी, 2013 में चोराबाड़ी ग्लेशियर के फटने व श्री केदारनाथ त्रासदी का सारा ठीकरा, मेरे छोटे से सर पर फोड़ दिया। #वाडिया_इंस्टीट्यूट की चेतावनी को अनसुना करने वाली राज्य सरकार में उस समय आदरणीया अर्धांगिनी सहित आप जलवा फरोश रहते थे। सारा उत्तराखंड आज भी तत्कालीन सरकार की इस लापरवाही का उत्तर मांग रहा है, कहीं ये सब उत्तर मांगने वाले आपके गले न पड़ जाएं। रहा प्रश्न ग्लेशियरों के अध्ययन का, यह डॉ. #मनमोहन_सिंह जी की सरकार थी जिसने जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों को लेकर 8 राष्ट्रीय मिशन प्रारंभ किये थे, जिनमें हिमालय व ग्लेशियोलॉजी भी सम्मिलित है। आपने केन्द्रीय मंत्री के रूप में मेरे योगदान के विषय में जानना चाहा है, वर्तमान राष्ट्रीय जल नीति जो आज भी प्रभावी है, उसे मेरे कार्यकाल में ही मूर्त रूप दिया गया व सारे देश में लागू किया गया। उत्तराखंड राज्य के लिये ए.आई.बी.पी. व गंगा फ्लड कंट्रोल योजना के तहत मेरे कार्यकाल की स्वीकृत योजनाएं, आज भी चल रही हैं। भक्तों के स्नेह को गिनने से कभी समय मिले, तो विभाग की फाइलों का भी अध्ययन करियेगा।
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