ब्रिटिश नौ सेना अधिकारी की बेटी जो बन गई बापू की बेटी मीरा !

 


आज 20 जुलाइ है और आज ही के दिन गांधी जी शिष्या मीरा बेन (मैडेलिन स्लेड) की पुण्य तिथि है। पिता सर एडमंड स्लेड ब्रिटिश नौ सेना के एडमिरल थे, जो बाद में कमांडर इन चीफ बनाये गए। 22 नवंबर, 1892 को इंग्लैंड में जन्मी मैडेलिन स्लेड अपने पिता के साथ 1908 में 15 साल की ऊम्र में भारत आईं और दो साल रह कर वापस इंग्लैड चली गईं। फिर 1923 में मैडेलिन की मुलाकात फ्रांस के महान दार्शनिक और साहित्यकार रोम्या रोलाँ से हुई। रोम्या रोलाँ ने इन्हें महात्मा गाँधी नामक उस महान व्यक्तित्व के बारे में भी परिचित कराया जिसे वे स्वयं ईसा मसीह का दूसरा अवतार मानते थे। बस, गाँधी जी के बारे में यह सब जानकर मैडेलिन को लगा कि यह वही ‘अज्ञात शक्ति’ है जो मेरा इंतजार कर रही है। इस तरह एक दिन 1925 में वही ‘अज्ञात शक्ति’ मैडेलिन को भारत खींच लाई।


1932-33 में भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन चरम पर था, तो ऐसे में गांधी जी की यह अनन्य शिष्या स्वयं को इससे अलग कैसे रख सकती थी। वे भी इसमें कूद पड़ीं और जेल भी गईं। अंग्रेज नौसेना के एक उच्च अधिकारी की बेटी ने भारत के स्वतंत्रता संघर्ष में अपना सर्वस्व अर्पित कर दिया। कहाँ सुख-सुविधाओं में पली-बढ़ी एक एडमिरल की लाड़ली बेटी और कहाँ महात्मा गाँधी का साबरमती आश्रम ! जहाँ का जीवन कठोर अनुशासन, कष्टों तथा असुविधाओं से भरा हुआ था। वे सादी धोती पहनती, सूत कातती, गाँव-गाँव घूमती। आजादी के बाद भी उनका संघर्ष खत्म नहीं हुआ। उनको मीरा बेन नाम महात्मा गांधी ने दिया था। बाद में लोग उन्हें मीरा बहन कहने लगे।


बापू की इस बेटी का पूरा जीवन ही बापूमय था। उन्होंने लोगों के बीच गांधी जी के सिद्धांतों, सदाचार, मानव जाति की उन्नति व विकास और प्रकृति के प्रति प्रेम व आदर का भाव भरने के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया था। उनका सारा जीवन गाँधी जी की सेवा तथा गाँधी जी के आदर्शों के प्रचार-प्रसार में बीता। इस तरह पश्चिम की मैडेलिन स्लेड पूरब की 'मीरा बहन' बनकर जिस तरह गांधीमय हो गई, वैसा दूसरा उदाहरण नहीं मिलता।
वन विभाग ने उनको 1948 में ऋषिकेश में 2146 एकड़ जमीन लीज पर दी। इस स्थान को पशुलोक आश्रम के नाम से जाना जाता है। यहाँ उनसे मिलने पंडित नेहरू सरीखी हस्तियाँ आती थीं। इस जगह को ‘बापू ग्राम’ के नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने गढ़वाल क्षेत्र में सर्वोदय आन्दोलन की आधारशिला को सुदृढ़ किया।


मीरा बहन बापू की बेटी की तरह थी। उनका सारा जीवन बापू के ही साथ व्यतीत हुआ। मीरा बहन के सबसे नजदीकी लोगों में डॉ. शुशीला नैयर थीं, जिनके साथ वे जेल में भी रहीं। मीरा बहन के बारे में एक जगह महादेव देसाई ने लिखा है कि लन्दन में राजसी ठाट में पली यह युवती गाँधी जी के प्रति जिस निष्ठा और समर्पण भाव से अपने जीवन को बदलने में सफल रही है, उसका दूसरा उदारहण कहीं देखने को नहीं मिलता है।


अपनी जीवनी में उन्होंने कहा है कि बापू के जाने के बाद मैं किंकर्तव्यविमूढ़ हूँ। मेरी जिंदगी में शायद एक शून्य पैदा हो गया था। उन्होंने लिखा था―"मेरे लिए ईश्वर और बापू दो ही थे। अब वे दोनों एक हो गए हैं। मैं अपने अतीत पर विचार करती हूँ तो पाती हूँ कि मैं बापू को अपना ‘पूरा’ नहीं दी सकी।" मीरा बहन ने भारत से 28 जनवरी, 1959 को वियना (ऑस्ट्रिया) को प्रस्थान किया, जहां वे जीवन के अंतिम समय तक रहीं। अंतिम समय में वे आर्थिक परेशानियों से गुजर रहीं थीं। उनके पास इतने पैसे भी नहीं थे कि वे अपने लिए गरम कपड़े सिलवा सकें। जब प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को इसका पता चला तो वे स्वयं उनसे मिलीं और उनके लिए धनराशि की तुरंत व्यवस्था की। 


वियना में 20 जुलाइ, 1982 को उनका देहावसान हो गया। ऑस्ट्रिया में दाह-संस्कार की परपरा नहीं है परंतु मीरा बहन की इच्छा के अनुसार उनके सेवक रामेश्वर दत्त ने उन्हें मुखाग्नि दी। बाद में उनकी भस्म भारत लाकर ऋषिकेश और हिमालय में प्रवाहित कर दी गई। मीरा बहन के विशिष्ट योगदान के लिए भारत सरकार ने उन्हें 1981 में पद्मभूषण से सम्मानित किया। इस पर बड़ी विनम्रता से उन्होंने राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री को लिखा―"मैं यह सम्मान पाकर अत्यधिक द्रवित हूँ। इन सालों में मैंने किया ही क्या है? यही न जिसके लिए मेरी अन्तश्चेतना ने प्रेरित किया। मैं अत्यधिक आभारी हूँ !"इस महामानवी को कोटिशः नमन।


Comments

News Point Popular

मुख्यमंत्री श्री तीरथ सिंह रावत ने विभिन्न विकास कार्यों हेतु वित्तीय एवं प्रशासकीय स्वीकृति प्रदान की

देहरादून में आयोजित कार्यक्रम में सीनियर सिटीजन नेशनल हेल्पलाईन एल्डरलाईन 14567 का उत्तराखण्ड में शुभारंभ किया

मुख्यमंत्री ने स्वीकृत की पिथौरागढ़ एवं बागेश्वर के आपदा प्रभावित परिवारों के पुनर्वास हेतु रूपये 131.75 लाख की धनराशि

मुख्यमंत्री ने स्वीकृत की पिथौरागढ़ एवं बागेश्वर के आपदा प्रभावित परिवारों के पुनर्वास हेतु रूपये 131.75 करोड़ की धनराशि

मुख्यमंत्री ने किया गायक सुभाष बड़थ्वाल के गीत का विमोचन

कोविड-19 से लड़ाई हेतु 5 वेंटिलेटर मशीन, 2000 सैनिटाइजर (500उस), 3000 मास्क, 500 ऑक्सीमीटर, 400 थर्मामीटर, उत्तराखण्ड सरकार को प्रदान किये

मुख्यमंत्री श्री तीरथ सिंह से गुरूवार को सचिवालय में सेन्ट्रल कमांड के जी.ओ.सी. इंचार्ज लेफ्टिनेंट जनरल वाई डिमरी ए.वी.एस.एम, वी.एस.एम ने शिष्टाचार भेंट की