सुना है कि केंद्र व दिल्ली सरकार ने कोरोना के खिलाफ एक एक्शन प्लान तैयार किया है
सुना है कि केंद्र व दिल्ली सरकार ने कोरोना के खिलाफ एक एक्शन प्लान तैयार किया है, जिसके अनुसार कल 20 जून से दिल्ली में प्रतिदिन 18,000 टेस्ट होंगे।
जब चीन कोरोना महामारी के कहर से लड़ रहा था, हम इससे बेफिक्र होकर दुनिया के सबसे मजबूत, पूंजीवाद के पोषक और समाजवाद के घोर विरोधी अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रम्प के स्वागत की तैयारी में जुटे थे। पैसे को पानी की तरह बहा रहे थे। ट्रम्प अपने दोबारा राष्ट्रपति बनने के लिए भारतीय अमेरिकियों के वोट के लालच में मोदी का गुणगान कर रहे थे।
आत्ममुग्ध ट्रम्प और मोदी दोनों एक-दूसरे के प्यार में इस तरह खोए हुए थे कि कोरोना की फैलती आग को अनदेखा कर दिया। नतीजतन आज सबसे अमीर और शक्तिशाली लेकिन कोरोना से पश्त अमेरिका इससे हारता हुआ दिखाई दे रहा है। दूसरी तरफ, हमारा देश इस महामारी से जूझ रहा है और कराह रहा है।
अगर ये नेता दूरदर्शी होते, समय पर चेत गए होते और तैयारी कर लिए होते तो संसाधनों की कमी से जनता को इस तरह मरने नहीं देते।
देश में कोरोना की शुरुआत होते ही जो लोग टेस्टिंग बढ़ाने की बात कहते रहे उनको मूर्ख अंधभक्तगण नकारात्मक सोच वाले, वामपंथी और राष्ट्रद्रोही घोषित कर रहे थे लेकिन अब जब कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा 3.50 लाख के पार जा चुका है, तब उन्हीं नकारात्मक, वामपंथी और राष्ट्रदोहियों के सुझावों पर अमल करते हुए टेस्टिंग बढ़ाई जा रही है।
यह समझने की जरूरत है कि कोरोना से लड़ाई वैज्ञानिक सोच के साथ ही जीती जायेगी, न कि कूपमंडूकता भरे 'गो कोरोना गो' के नारों से, शरीर पर गोबर लेपन से, गोमूत्र पीने से, हवन-पूजा-पाठ से। विश्वास न हो तो इस बार 24 तारीख को घंटे या शंख बजवा कर देख लो, हो सकता है उनकी ध्वनि-तरंगों से वायरस खत्म हो ही जाए।
अदूरदर्शी शासक प्रजा को कभी सुखपूर्वक जीने नहीं दे सकते।
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