सचमुच नरेंद्र मोदी का प्रधानमंत्री बनना देश के लिए एक भयानक आपदा साबित हुआ
चीन सीमा पर हुए ताजा घटनाक्रम के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान पर आज कुछ अखबारों ने देश की सेना के उच्च पदों से सेवानिवृत्त अफ़सरों के बयान प्रकाशित किए हैं। जिन्हें पढ़कर उनका दुख और क्षोभ स्पष्ट रूप से समझा जा सकता है और यह भी कि सेना में रहे ये लोग किस तरह सोचते हैं।
इन पूर्व सैनिक अधिकारियों के सीधे सवाल...
लेफ़्टिनेंट जनरल प्रकाश मेनन:— "मोदी ने समर्पण कर दिया है और कहा है कि कुछ हुआ ही नहीं है। भगवान बचाए! उन्होंने चीन की बात को ही दोहरा कर क्या राष्ट्रद्रोह नहीं किया है? इसमें क़ानूनी/संवैधानिक स्थिति क्या है? कोई बताए !"
मेजर जनरल सैन्डी थापर:— "तो, न कोई अतिक्रमण हुआ और न किसी भारतीय चौकी को गँवाया गया ! हमारे लड़के चीन की सीमा में घुसे थे उन्हें ‘खदेड़ने’ के लिए? यही तो पीएलए कह रही है। हमारे बहादुर बीस जवानों के बलिदान पर, जिनमें 16 बिहार के हैं, महज 48 घंटों में पानी फेर दिया गया ! शर्मनाक !"
कर्नल अजय शुक्ला:— "क्या हमने नरेन्द्र मोदी को आज टेलिविज़न पर भारत-चीन की सीमा रेखा को नए सिरे से खींचते हुए नहीं देखा? मोदी ने कहा कि भारत की सीमा में किसी ने प्रवेश नहीं किया। क्या उन्होंने चीन को गलवान नदी की घाटी और पैंगोंग त्सो की फ़िंगर 4-8 तक की जगह सौंप दी है, जो दोनों एलएसी में हमारी ओर पड़ते हैं, और जहां अभी चीनी सेना बैठ गई है?"
मेजर बीरेन्दर धनोआ:— "क्या हम यह पूछ सकते हैं कि ‘मारते-मारते कहाँ मरें?"
मेजर डी पी सिंह:— "प्रधानमंत्री को सुना। मेरे या किसी भी सैनिक के जज़्बे को कोई नुक़सान नहीं पहुँचा सकता है। मैंने सोचा था वे उसे और ऊँचा उठायेंगे। मैं ग़लत सोच रहा था।"
मोदी यदि आज कहते हैं कि भारत की सीमा में किसी ने भी अनुप्रवेश नहीं किया है तो फिर झगड़ा किस बात का है ? क्यों सेना-सेना में संवाद हो रहा है, क्यों कूटनीतिक बातें चल रही हैं, सेनाओं के पीछे हटने का क्या मायने है, क्यों 20 सैनिक शहीद हुए?
भारत के 20 सैनिकों ने भारत की सीमा में घुस आए घुसपैठियों को पीछे खदेड़ने के लिए अपने प्राण गँवाए हैं लेकिन मोदी कहते हैं कि भारत की सीमा में कोई आया ही नहीं। तब उन सैनिकों ने जान कहां गँवाई? क्या मोदी चीन की बात को ही दोहरा रहे हैं कि उन्होंने चीन में प्रवेश किया था?
मोदी सरकार ने इस मामले में जिस तरह गैर-जिम्मेदाराना रवैया अपनाया उससे आज पूरा देश मर्माहत है। देश की आन-बान-शान को गहरा आघात लगा है। देश के विदेश मंत्री, रक्षा मंत्री सीडीएस जनरल बिपिन रावत और सबसे अंत में बोलने वाले प्रधानमंत्री मोदी के बयानों में इतना बड़ा विरोधाभास?
यह देश का दुर्भाग्य है कि नरेंद्र मोदी इतिहास के सबसे निकृष्टतम प्रधानमंत्री साबित हुए हैं। इनके छः साल के कार्यकाल में देश लगातार पतन की ओर चलता रहा है। इन्होंने अपने ऊल-जलूल फैसलों से देश को जो नुकसान पहुंचाया है, उसकी भरपाई अगले पचास सालों तक नहीं हो सकती है। सचमुच नरेंद्र मोदी का प्रधानमंत्री बनना देश के लिए एक भयानक आपदा साबित हुआ है।
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