रुद्रप्रयाग बाजार में एक पीपल का पेड़ है और इसके नीचे विराजमान हनुमान जी
रुद्रप्रयाग बाजार में एक पीपल का पेड़ है और इसके नीचे विराजमान हनुमान जी। जो भी रुद्रप्रयाग गया होगा उन सब पर उस पेड़ का कर्जा है, क्योंकि पेड़ की छाया का आनंद तो सबने लिया ही होगा।
सुना है कट्टर और अतिराष्ट्रवाद के विकास की बेदी में आज हनुमान मंदिर तो शहीद हो गए हैं, पर पीपल के पेड़ को अभी काटा नहीं गया है।
पेड़ को बचाने की मुहीम हमारे कुछ प्रोग्रेसिव नौजवान मित्र कर रहे हैं। ये सभी वो लोग हैं जो अतिराष्ट्रवाद और अंधभक्ति की बाढ़ में बहने से बच गए थे। ये लोग आज इस पेड़ को बचाने के लिए मुहीम चला रहे हैं और जो लोग इस पेड़ की पूजा करते थे, आते जाते हनुमान जी से आशीर्वाद ले लेते थे, गृह प्रवेश, सत्यनारायण की कथा के लिए इस पेड़ के पत्ते ले जाते थे, वो अभी भी मानकर चल रहे हैं कि फलां है तो सब मुमकिन है और सब ठीक ही हो रहा ठैरा।
मेरा अपने प्रोग्रेसिव मित्रों से कहना है कि लोगों ने पिछले दो तीन चुनाव में, वोट तो इस पीपल के पेड़ को काटने और हनुमान मंदिर को ढहाने के लिए ही दिया था। अगर नहीं दिया तो क्या किसी ने इस तथाकथित आल वेदर रोड के औचित्य के बारे में पूछा था।
अगर सद्बुद्धि होती, दिमाग में भ्रस्ट्राचार न होता तो इस सड़क के सामानांतर एक नयी सड़क बनाते, जिससे नए शहर बसते, आपदा या युद्ध के समय हमें दो रास्ते मिल जाते और पुराने और ऐतिहासिक शहर न उजड़ते।
इस पेड़ को और इसके नीचे विराजमान हनुमान जी को भी अन्धराष्ट्र भक्ति के लिए शहीद होना ही पड़ेगा।
जय भैरव नाथ, इस पेड़ की रक्षा करना ।
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