राजा साक्षात परमेश्वर है- श्याम सिंह रावत


 
एक दिन सदैव की भांति चेहरे पर क्रूरता और कुटिलता का लेप लगाये आंखों से टपकती धूर्तता के साथ वह अपनी पार्टी मीटिंग में एक जिन्दा मुर्गा लेकर पहुंचा और भरी मीटिंग में उस मुर्गे के पंख नोच-नोच कर फेंकने लगा। असह्य पीड़ा से छटपटाते मुर्गे ने उसके हाथों से छूटने की भरपूर कोशिश की, मगर परपीड़न से सुख पाने वाले उस हृदयहीन कसाई के आगे बेचारे की एक न चली।
वहां उपस्थित सभी नेता हक्के-बक्के एक-दूसरे की ओर देखते हुए आंखों ही आंखों में पूछते कि माजरा क्या है लेकिन जवाब किसी के पास नहीं था। 
उस निर्दयी ने बिना रुके मुर्गे के एक-एक कर सारे पंख नोच डाले और फिर उसे जमीन पर फेंक दिया। इसके बाद उसने अपने सामने रखी दो कटोरियों से थोड़े-थोड़े दाने निकाले और बारी-बारी से उस मुर्गे के आगे डाल दिये।
मुर्गा दाने खाने लगा और फिर कसाई के पैरों के पास आकर बैठ गया। उसने दाने फिर डाले तो मुर्गा वह भी खा गया और कसाई के आगे-पीछे ही घूमता रहा।
भौंचक नेता यह सब देखकर मौन साधे रहे, किसी एक की भी हिम्मत इसके बारे में कुछ भी पूछने की नहीं हुई। वैसे भी उनके परमपूज्य गुरुजी मरने से पहले शिष्यों को बिना कोई सवाल पूछे संगठन के नेतृत्व की हर इच्छा पूरी करने की आज्ञा दे गये थे जो अब पार्टी/संगठन में नियम बना दिया गया था। तो नियमानुसार यहां भी सबको चुप ही रहना था।
अपनी योजनानुसार कसाई जी ने अपनी पार्टी के नेताओं से कहा, “हमारे भक्त इस मुर्गे की तरह होते हैं। आप नोटबंदी कर दो ये लोग बैंक के बाहर लाइन लगा लेंगे, जीएसटी लगा दो ये रजिस्ट्रेशन कराएंगे, काम-धंधा चले न चले खाता-बही में ही उलझे रहेंगे और हर महीने टैक्स भी भरेंगे, सबके रोजगार छीनकर दाने-दाने के लिए मोहताज बना दो ये घरों में चुपचाप पड़े रहेंगे, देश के खजाने समेत सारी जायदाद अपने मितरों को सौंप दो ये आंखें मूंदकर समर्थन करेंगे, तरह-तरह के उपायों से इनकी जमा पूंजी खत्म कर इनको आर्थिक रूप से तबाह कर दो ये कुछ नहीं बोलेंगे, जब चाहे इनसे ताली-थाली बजवा लो, दीया-मोमबत्ती जलवा लो ये मस्त होकर बजाएंगे, झूम-झूमकर गायेंगे, नाचेंगे, पटाखे फोड़ेंगे, दो महीनों तक घरों में बंद कर फिर इनको बोलो कि अब बाहर जाकर काम करो ये गर्दन झुकाए चुपचाप काम में लग जाएंगे, दुनिया भर में कच्चा तेल लागत से भी सस्ता हो जाए लेकिन अपने यहां पैट्रोल-डीजल ऐतिहासिक रूप से कितना भी महंगा कर दो तो भी ये कुछ नहीं बोलेंगे ! किसी भी तरह की अफवाह फैला कर इनमें उत्तेजना भर दो ये किसी मशीन की तरह हाथों में हथियार लेकर दूसरे समुदायों का कत्लेआम कर डालेंगे, इनसे दंगे करवा लो तो ये शहर के शहर स्वाहा कर देंगे।
यानी इनसे कभी भी, कुछ भी करवा लो ये उसे यंत्रवत पूरा करेंगे, भले ही ये तड़प-तड़प कर मर जाएं तो भी चुपचाप ही रहेंगे। हमारी तरफ झपटना तो दूर हमें देखकर कुकड़ू कूं तक नहीं बोलेंगे। बस आपको करना इतना ही है कि साम्प्रदायिकता और राष्ट्रवाद की इन दो कटोरियों से अपनी जरूरत के हिसाब से दाने
निकाल कर इनकी तरफ फेंकते रहना है। ये दाने चुगते रहेंगे और आपके आगे-पीछे ही घूमते रहेंगे। ये यह तक भूल जाएंगे कि इनकी बदतर हालत करने वाले आप ही थे और यहां तक कि इन्हें यह तक भान नहीं रहेगा कि ये मशीन नहीं मनुष्य हैं।
कसाई जी की बात सुनकर वहां उपस्थित नेतावेशधारी सभी जैविक रोबोट्स एक स्वर में बोले—"वाह, प्रभु जी वाह! सम्राट की जय हो!!"


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