क्या घिर रहा है भारत
क्या घिर रहा है भारत - देश का 446.52 करोड़ रूपये खर्च करके 44 देशों कि यात्रा करने वाले साहेब के हाथ में आज बाबा जी का ठल्लू है अर्थात देश के 446.52 करोड़ स्वाह हो गये। जिस देश अमेरिका से प्रेम कि पींगे बढाने में सबसे ज्यादा देश का पैसा बर्बाद किया गया है उन्ही डोनाल्ड ट्रंप कि अमेरिका में हालात खराब है और उनके खिलाफ खडे होने जा रहे अमेरिकी राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार ने मोदी के कशमीर नीती से लेकर सारे अहम फैसलों पर उंगली उठा दी है, अब अगर ट्रंप हार जाते हैं तो क्या अमेरिका जिसके लिये हमने अपने सोवियत रूस जैसे स्वभाविक दोस्तों से किनारा किया था क्या उनसे विश्वास पुनः कायम किया जाना मुमकिन होगा और अमेरिका में विपक्षी उम्मीदवार के जीतने कि दशा में भारत को ट्रंप प्रेम कि वजह से क्या दुष्परिणाम भुगतने पड सकते हैं क्या भारत सरकार ने कभी उनका मुल्यांकन किया है। नेपाल का भारत के प्रति आक्रमक रवैया सबसे ज्यादा हताश और क्षुब्द करने वाला रहा है अभी तक जो कि कूटनीतिक स्तर पर मोदी सरकार कि सबसे बड़ी नाकामी कही जा सकती है। चीन विवाद मुद्दे पर हमेशा से भारत का सशक्त रूप से समर्थन करके पक्ष में खड़े होने वाला सोवियत संघ आज कह रहा है कि चीन और भारत अपना विवाद खुद निबटाने कि कोशिश करें यानी कि रूस से एक तरह से अपना नजरिया स्पष्ट कर दिया है कि वो दिन अब बीत गये जब हम तुम्हारे साथ पूरी तन्मयता से खड़े होते थे। और दूसरी तरफ जिस अमेरिकी राष्ट्रपति को रिझाने के लिये प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और टीम ने अपने देश कि कूटनीतिक बिसात और पैसे को दांव पर लगा दिया उसी अमेरिकी राष्ट्रपति ने एचसीक्यू दवाई एक दिन कि देरी होने पर उसी भारत को धमकी देने में देर नहीं लगाते जिसने करोड़ों रूपये के फूल बरसा कर, मोटेरा स्टेडियम में सौ करोड़ से ऊपर का आयोजन करवा कर और अमेरिका के राष्ट्रपति कि ताजमहल देखने कि इच्छा के चलते करोड़ों रूपये लगा कर जमुना जी के पानी से उन्हे दुर्गंध न आये के इंतजामात करवा कर खुश करने कि कोशिशों को किये अभी ज्यादा दिन नहीं व्यतीत हुये थे। आज सम्पूर्ण भाजपा और मोदी सरकार अपनी उपलब्धियों को बताने से बचती घूमती है और सवाल का जवाब देने के उल्ट पुरानी बातें उठा कर कांग्रेस को ही कटघरे में खडा करने के लिये प्रयत्नशील रहती है अपने झूठे सच्चे दावों के सहारे। अपनी उपलब्धियां न बता पाने वाली भाजपा कांग्रेस को कटघरे में खडे रखने के लिये इतनी बैचेन रहती है कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जेपी नड्डा अति उत्साह में कह जाते हैं कि कांग्रेस राज में चीन ने भारत कि 43 हजार किमी जमीन हडप ली है जबकी पृथ्वी कि परिधी ही 40, 075 किमी है । चीन को लेकर आज जो परिस्थितियां बनी हुयी हैं भाजपा और केंद्र सरकार आज उन्हे प्रमाणिक तरीके से देश के सामने से बच रही है जिससे देश के भीतर उहापोह कि स्थिति बनी हुयी है क्यूंकी आज भारत का चौथा स्तंभ मिडिया सबसे ज्यादा प्रश्नों के घेरे में है और कोई भी उनकी कही बातों को बहुत ज्यादा ठोस पैमाना मानने को तैयार नहीं है। और इस सारे द्वंद में भारत के 20 जवानों कि शहादत और उसकी पीड़ा दब कर रह गयी है और देशवासियों को ये कसक साल रही है कि हमारे जवानों कि इस तरह बेरहमी से कि गयी हत्या का बदला कैसे लिया जायेगा। सूत्रों के अनुसार चीन ने तीन तरफ से भारत पर कब्जा किया है पर सरकार के उदासीन रवैये के साथ उसे क्लीन चिट देने कि वजह से चीन शेर बना हुआ है। कई स्तरों पर बातचीत होने के बाद भी अभी तक कोई निष्कर्ष नहीं निकल पाया है और जिनकी परिणति या तो युद्ध ही हो सकती है या चीन के दावों को सच मान कर उसके द्वारा कब्जा की गयी भूमि पर पर से अपना दावा छोड़ना पडेगा। दावा छोडना भारत के लिये और मोदी सरकार के लिये संभव नहीं होगा क्यूंकी ये भारतीयों कि अस्मिता से जुड़ा मामला है जिसके लिये हर देशवासी अपनी जान तक लडाने के लिये तैयार है और दूसरी तरफ युद्ध कि स्थिती में चरमराई अर्थव्यवस्था से जूझ रहे भारत के लिये किस तरह कि दिक्कतें पैदा हो सकती हैं उसका मुल्यांकन अभी से कर लिया जाना बेहतर होगा कयूंकी कोरोना काल में समस्त देशवासियों के एक साथ खड़े होकर अपनी जिम्मेदारी निभाने के बावजूद भी देश को पेट्रोल डीजल जैसी रोजमर्रा कि जरूरतों कि कीमतों में असाधारण बढोत्तरी का दंश झेलना पड़ रहा है। कुल मिलाकर सरकार बिना विजन के अपनी कार्यशैली को आगे बढाती नजर आ रही है जो शायद ये चहाती है कि ये भ्रम कि स्थिती बनी रहे और इस भ्रम कि स्थिती में सच्चाई सम्पूर्ण रूप से बाहर न आ पाये पर सबसे अहम सवाल ये है आखिर कब तक
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