गुजरात के हीरा उद्योग का 40% निर्यात अकेले चीन को होता है
संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत 2014 से ही चीन निर्मित सामानों के बहिष्कार की बातें करते रहे हैं। उन्होंने इस वैश्विक कोरोना संकट के दौर को विदेशी (चीनी) सामान छोड़ने को उपयुक्त अवसर बताया है।
अब यहां पर यह समझना होगा कि देश के प्रधानमंत्री और गृहमंत्री के ही गृहराज्य गुजरात में चीनी कंपनियों का किस तरह कब्जा है और वहां चीन का निवेश किन-किन क्षेत्रों में है?
ऑयल एंड गैस, इंफ्रास्ट्रक्चर, ऑटोमोबाइल, टैक्सटाइल, फ़ूड प्रोसेसिंग, IT, हीरा उद्योग, बायोटेक्नोलॉजी, कैमिकल्स, पोर्ट, SEZ... यहां तक कि गुजरात की MSME में भी चीन का भारी निवेश है।
गुजरात से आये दिन अनेक प्रतिनिधिमंडल निवेश लाने चीन जाते हैं। बतौर मुख्यमंत्री स्वयं नरेंद्र मोदी ने पांच बार चीन की यात्रा की थीं। आपको याद होगा कि 2015 में मोदी को 'सेल्समैन ऑफ गुजरात' कहा गया था।
आज गुजरात के हीरा उद्योग का 40% निर्यात अकेले चीन को होता है।
क्या मोहन भागवत को मालूम है कि चीन का बॉयकॉट करने से क्या होगा?
—गुजरात की जीडीपी असम के बराबर हो जायेगी
—50% गुजराती प्रवासी मजदूर बन जाएंगे
—गुजरात के बेरोजगार हो गये व्यापारी दूसरे राज्यों में नौकरी ढूढेंगे
—गुजरात बरबाद हो जाएगा
मोहन भागवत को समझने की जरूरत है कि गुजरात को चीन से रोजी-रोटी मिल रही है और चीनी बॉयकॉट का झांसा देकर लोगों को देशभक्त बनाना बुद्धिमानी नहीं है। मोहन भागवत में अगर हिम्मत है तो गुजरात ही नहीं पूरे देश में सरकार ने जिस तरह हर क्षेत्र में चीन की कंपनियों को अरबों-खरबों रुपए के ठेके दे रखे हैं उन्हें तत्काल खत्म करवायें और चीन का पूरी तरह बॉयकॉट करके दिखाएं, अन्यथा बंद करो यह देशभक्ति का पाखंड। हीरों की लूट और कोयले की बोरियों पर सील-मुहर लगाने की अक्लमंदी अपने पास ही रखो।
मोहन जी, दिखावे की इस देशभक्ति से ही आज हम अपने 20 जवानों के जीवन और गवलान घाटी के 60 किमी क्षेत्र से हाथ धो बैठे हैं। आपके सर्वश्रेष्ठ स्वयंसेवक की करतूतों ने देश की ऐसी दुर्दशा कर डाली है तो अभी इसे और कितना तबाह करवाओगे?
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