विस्तारित लॉकडाउन -तृतीय चरण- सातवां दिन- हरीश रावत
विस्तारित #लॉकडाउन -तृतीय चरण- सातवां दिन
#उत्तराखंड अपनी #अर्थव्यवस्था के दीर्घकालिक सुधार पर यदि विचार करेगा, तो उसे खेती व शिक्षा, दोनों पर एक साथ मंथन करना चाहिये। यूं उत्तराखंड भी कृषि प्रधान राज्य है, मगर खेती के समांतर राज्य में 'नौकरी' शब्द भी महत्वपूर्ण है। पहले राजकीय सेवाएं थी, अब प्राइवेट सेवाएं भी शिरोधार्य हैं। दोनों के लिये अच्छी शिक्षा आवश्यक है। #उत्तराखंड निवासी, कंस्ट्रक्शन व खेती श्रमिक बहुत कम हैं, व्हाइट कॉलर जॉब, राजकीय सेवा के बाद उत्तराखंड की प्रमुख प्राथमिकता है। इधर राज्य में बड़ी संख्या में आई.टी.आईज के खुलने के बाद व्ल्यू कॉलर जॉबों सहित, अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में आपको उत्तराखंडी नौजवान कार्यरत मिलेगा। यह एक अच्छा लक्षण है। हम केरल व दक्षिण के राज्यों के बाद सबसे अच्छी स्थिति वाले पलायनित समूह हैं। हमें एक गतिशील समाज के बतौर जॉब्स के नेचर में आ रहे परिवर्तन के प्रति सदैव सचेत रहना चाहिये। इस हेतु शिक्षा का निरंतर वैश्विक व राष्ट्रीय बदलाओं के साथ कदम से कदम मिलाकर चलना आवश्यक है। 15 वर्ष पहले की आई.टी.आईज या पॉलिटेक्निक के विषय अब करीब-करीब निर्थक हो चुके हैं। हाईस्कूल, इंटर, डिग्री की शिक्षा भी आउट मोडल हो गई हैं। देश की अर्थव्यवस्था के विकास की गति मंद पड़ने के कारण इंजीनियर्स की मांग पहले ही कम हो गई है। पोस्ट कोरोना वायरस स्थिति में बड़ा परिवर्तन आयेगा। कुछ देशों की अर्थव्यवस्थायें और तेजी से फैलेंगी। जिनमें बांग्लादेश, म्यामार, थाईलैंड, वियतनाम, मलेशिया, इंडोनेशिया अपन सस्ते श्रम के कारण हमारे प्रतिद्वन्दी होकर उभर सकते हैं। मगर इन देशों को भी स्किल्ड मैन पावर की आवश्यकता पड़ेगी। हमें हालात की नब्ज पर उंगली रखकर आवश्यकतानुसार अपने को तैयार करना चाहिये। पोस्ट कोरोना से बड़ी-बड़ी अर्थव्यवस्थायें डरी हुई हैं। इसलिये स्वास्थ्य पर इनका खर्चा बढ़ेगा। भारत को भी अपना स्वास्थ्य खर्चा 2 गुना से 3 गुना बढ़ाना पड़ेगा। उत्तराखंड को अपनी मेडिकल व नर्सिंग शिक्षा को सुधारने व उसके विस्तार पर धन व्यय करना चाहिये। सौभाग्य से ढांचागत मामले में मेडिकल शिक्षा में हम अच्छी स्थिति में हैं।
खेती के स्वरूप में बड़े परिवर्तन व कृषि संबद्ध क्षेत्रों के बड़े विस्तार के बाद भी हम खेती में, अधिक से अधिक 5% लोगों को और जोड़ सकते हैं। सेवा क्षेत्र के विस्तार की संभावनाएं होते हुये भी इस क्षेत्र के अधिकांश हिस्से में संख्या बल में अधिक लोगों को रोजगार नहीं मिलेगा। पर्यटन, दस्तकारी सहासिक व पर्यावरणीय पर्यटन विशेषतः ग्रामीण पर्यटन में संभावनाएं हैं। इस क्षेत्र में पहले सरकारी, फिर निजी पूंजी जुटाई जा सकती है। यह क्षेत्र इनोवेटिव व बड़ी संभावनाओं युक्त है। क्षेत्र की भावी आवश्यकताओं का आंकलन कर, मानव शक्ति को तैयार करने की आवश्यकता है। इसमें कला, संस्कृति, परंपराओं आदि का समावेश कर, इस क्षेत्र को नूतनता प्रदान की जा सकती है। कुल जमा पूंजी निष्कर्ष एक ही है। वह है, हमें अपनी शिक्षा, तकनीकी शिक्षा, स्वास्थ्य शिक्षा व नवाचार के क्षेत्र में बड़े व्यापक सुधार लाने की आवश्यकता है। राज्य के पास शिक्षा, तकनीकी शिक्षा, मेडिकल आदि समवर्ती शिक्षा क्षेत्र में एक व्यापक ढांचा व मैन पावर उपलब्ध है। मगर ढर्रा पुराना व कुछ मामलों में पूर्णतः अग्राह्य है। ढांचे व मानव शक्ति में सुधार व व्यापक परिमार्जन लाये बिना, आप कूप-मंडूप बनकर रह जायेंगे व समय के साथ नहीं चल पायेंगे। जिस प्रकार चुनिंदा देशों में एक्सपरर्टाइज बढ़ी है, उसी प्रकार देश के अंदर, प्रांतों के मध्य भी बढ़ी है। उत्तराखंड को एक बार पुनः अपने आंतरिक संसाधनों व क्षमताओं, जिसमें मानव क्षमता भी सम्मिलित है, मैपिंग करवानी चाहिये। किसी विशेषज्ञ संस्था को यह काम सौंपा जा सकता है। निश्चय ही कोरोना के बाद की वैश्विक व स्वदेशी स्थिति में भारी बदलाव आयेगा। नई संभावनाओं के साथ नहीं चुनौतियां भी पैदा होंगी। यदि राज्य के नेतागण इस स्थिति का सामना करने के लिये अपने आपको तैयार करें, तो संभावनायें हम पर मुस्कुरायेंगी। मैं आशावान हूँ, मुझे अपने नौजवानों की हिम्मत व सोच पर भरोसा है।
दुश्वारियां भी कभी सुख का कारण बनती हैं। हजारों कमाऊ पूत बहुत ही दुःख पूर्ण हालत में गांव आये हैं। लगभग सुने पड़ चुके गांवों में शायद 20 वर्ष पहले की चहल-पहल दिखाई दे रही है। गांव के युवा मजबूरी में ही सही इस बार गांव में हैं, काफल, हिसालू, किल्मोड़े भी अभी हैं। मेरा मन भी ललचा रहा है। प्रकृति रूपी मांँ अपनी न्यामतों के साथ पुत्र-पुत्रियों का इंतजार कर रही है। घर आये इन भाई-बांधवों से भविष्य का संवाद कैसे स्थापित हो, इस पर विचार आवश्यक है। देश के दूसरे भागों की तरह उत्तराखंड में पुलिस व लोगों में तनाव की स्थिति नहीं है। लोगों ने आगे बढ़कर प्रशासन के साथ सहयोग किया है। प्रशासन का दायित्व है या भावना, आगे बढ़ें। प्रशासन व कोरोना वॉरियर्स पूरी निष्ठा से अपना कर्तव्य निभा रहे हैं। मैंने कुछ कोरोना वॉरियर्स से मोबाईल पर बात कर, उन्हें धन्यवाद दिया है । लोग लगातार जरूरतमंदों की मदद के लिये भी आगे आ रहे हैं। सामाजिक चेतना से भरपूर एक नहीं पूरी पीढ़ी सेवा में आगे आ रही है। पौड़ी में अनुसूचित जाति विभाग के पूर्व अध्यक्ष दर्शन लाल जी की देखरेख में बचन दास, नंदकिशोर, मुकेश कुमार, रणवीर सिंह, दिनेश चंद्र, मनोज कुमार, कमल लाल, जगदीश प्रसाद, रामचरण, कैलाश चंद रोड़ा, भगवान सिंह टम्टा, मोहन गायत्री, हर्षलाल, मनोज कुमार बुरांसी, मनोहर सिंह, अनिल कुमार, विनोद दनोशी, संजय कुमार, सुमन प्रकाश, दिगंबर लाल, ऋषिराज, रोशन लाल, महावीर प्रसाद, पीतांबर लाल, सुनील कुमार, भागचंद आर्य, मीणा बछवाण, रामेश्वरी देवी, रघुवीर प्रसाद आदि सब लोग जरूरतमंद लोगों की सेवा में लगे हुये हैं। नैनीताल में नगर पालिका के अध्यक्ष सचिन नेगी, गजाला कमाल, निर्मला चंद्रा, रेखा आर्या, दया सुयाल, भगवत रावत, पुष्कर बोरा, मोहन नेगी, राजू टांक, सागर आर्या, कैलाश रौतेला, मनोज साह, जगाती, प्रेमा अधिकारी, सुरेश चंद्र, दीपक बर्गली सब लोग मिलकर जरूरतमंद लोगों की सेवा में जुटे पड़े हैं। हरिद्वार में अग्रवाल सभा ज्वालापुर, नितिन मंगल/सामाजिक समिति इमैक, आशीष/श्री गंगा मां की रसोई, नवीन राजवं, संदीप/श्री निरंकारी मिशन शाखा हरिद्वार, सुरेश चावला/श्री पथरी पावर हाउस कालोनी समिति, संगीता प्रजापति/ श्री कुष्ठ एवं लोक सेवा असहाय समिति, नारायण आहूजा, दीपक सेठी/श्री सामाजिक संस्था-अपना घर, आदित्य, रवि अरोड़ा/श्री सेवक मंच हरिद्वार, चंद्रमोहन कौशिक, नरेंद्र, कीर्तिकांत त्रिपाठी/श्री गुरु का लंगर, आशुतोष शर्मा, संजीव नैयर,श्री संदीप शर्मा/श्री स्पर्श गंगा परिवार, रीता चमोली/श्री कश्यप दल फाउंडेशन, ऋषि पाल कश्यप, चरण सिंह कश्यप/श्री सर्वसेवा संगठन समिति हरिद्वार, राहुल बंसल, अभिषेक गुप्ता/श्री माँ अन्नपूर्णा रसोई, मनीष कर्णवाल,आदि सभी आध्यात्मिक संस्थाएं व सामाजिक संगठन सब लोग, लोगों की सेवा में जुटे पड़े हैं। राजवीर सिंह चौहान अपने साथियों के साथ जरूरतमंद लोगों की सेवा में लगे हुये हैं।
"जय #कुंजापुरी_माता की जै"
(हरीश रावत)
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