देहरादून से श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में 2703 यात्री रवाना
देहरादून से श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में 2703 यात्री रवाना, यात्रियों के चेहरों में दिखी खुशी---देहरादून, जेएनएन। देहरादून में फंसे बाहरी राज्यों के लोगों को श्रमिक स्पेशल ट्रेन के माध्यम से उनके राज्य भेजने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। दून से मणिपुर के लिए एक और बिहार के लिए दो श्रमिक स्पेशल ट्रेनों को रवाना किया गया। मणिपुर जाने वाली ट्रेन में 402 और बिहार के अररिया जाने वाली टेन में 1152 व खगरिया जाने वाली ट्रेन में 1149 कुल 2301 यात्री रवाना किए गए। घर वापसी करते इन यात्रियों के चेहरे पर सुकून देखते ही बनता था। हालांकि इस दौरान कई बार शारीरिक दूरी के नियम की धज्जियां उड़ती नजर आई।कोरोना वायरस महामारी के चलते देशभर में लागू लॉकडाउन में करीब दो माह बाद देहरादून---रेलवे स्टेशन पर यात्रियों की चहल-पहल दिखी। सुबह नौ बजे मणिपुर के यात्रियों को लेकर पहली ट्रेन रवाना हुई। इसके लिए सुबह साढ़े छह बजे से ही स्टेशन पर मणिपुर के यात्रियों जिनमें अधिकांश दून के विभिन्न संस्थानों में शिक्षा ग्रहण करने वाले छात्र शामिल रहे को बसों में महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स कॉलेज से थर्मल स्क्रीनिंग के बाद लाया गया। जीआरपी, आरपीएफ व पुलिस ने व्यवस्था बनाते हुए यात्रियों को शारीरिक दूरी के नियम के साथ बोगियों में बैठाया। मणिपुर जाने के लिए प्रदेश से 531 लोगों ने पंजीकरण कराया था, लेकिन 402 यात्री ही प्लेटफार्म पर पहुंचे। देहरादून से 16 बोगी की ट्रेन में केवल छह बोगी में यात्री सवार हुए, बाकी 10 बोगी खाली गई। यहां से जिला प्रशासन ने प्रत्येक यात्री को भोजन सामग्री उपलब्ध कराई। व्यवस्था की निगरानी के लिए नोडल अधिकारी व मुख्य विकास अधिकारी नितिका खंडेलवाल के साथ सीओ सिटी शेखर सुयाल, एसपी जीआरपी मनोज कत्याल, स्टेशन निदेशक गणोश ठाकुर, वाणिज्य निरीक्षक एसके अग्रवाल, मुख्य पार्सल पर्यवेक्षक विवेक घई व रेलवे अधिकारी भी मौजूद रहे।सुबह 10 बजे प्लेटफार्म पर पहुंची बिहार जाने वाली ट्रेन---मणिपुर की ट्रेन रवाना होने के करीब एक घंटे बाद अररिया बिहार जाने वाले यात्रियों का स्टेशन पर आगमन शुरू हुआ। पुलिस चौकी व थानों में पंजीकृत हुए इन यात्रियों में अधिकांश श्रमिक रहे। बन्नू स्कूल से इन्हें छोटी-छोटी टुकड़ियों में स्टेशन लाया गया। उधर, दस बजे प्लेटफार्म पर बिहार जाने वाली ट्रेन भी पहुंच गई थी।आधा घंटा देरी से रवाना हुईं बिहार जाने वाली ट्रेनें---देहरादून से बिहार के अररिया के लिए रवाना हुई ट्रेन अपने तय समय से 32 मिनट की देरी से रवाना हुई। रेलवे की ओर से जारी ट्रेनों की टाइमिंग के अनुसार इस ट्रेन को दोपहर दो बजे रवाना होना था। लेकिन दो बजे तक तो यात्री प्लेटफार्म तक ही नहीं पहुंच पाए थे। दो बजने के बाद प्रशासन ने तेजी से यात्रियों को ट्रेन में बैठाया। जिसके चलते जल्दबाजी में शारीरिक दूरी का पालन नही हो सका। इसके बाद शाम को सात बजे देहरादून से खगरिया, बिहार के लिए रवाना होने वाली ट्रेन 35 मिनट देरी से रवाना हुई। मुरादाबाद मंडल से भी आए अधिकारी---लॉकडाउन में देहरादून स्टेशन से पहली बार चली श्रमिक स्पेशल ट्रेन के सफल संचालन के लिए मुरादाबाद मंडल से भी अधिकारी देहरादून पहुंचे। इनमें एडीआरएम एनएन सिंह, मंडल परिचालन प्रबंधक आशीष सिंह, सहायक वाणिज्य प्रबंधक पीएस बघेल शामिल रहे। शारीरिक दूरी के नियम की उड़ी धज्जियां---देहरादून से बिहार के लिए रवाना हुई श्रमिक स्पेशल ट्रेन में यात्रियों को बैठाने के दौरान शारीरिक दूरी की खुलेआम धज्जियां उड़ी। न तो यात्रियों ने ही शारीरिक दूरी बनाए रखी और न ही वहां मौजूद प्रशासन ने शारीरिक दूरी बनाए रखने में कदम उठाएं। प्रशासनिक व रेलवे अधिकारी खुद भी शारीरिक दूरी का अनुपालन करते नजर नहीं आए। हालांकि शाम साढ़े सात बजे रवाना हुई ट्रेन के समय दोपहर में हुई गलतियों में सुधार किया। खाली जेबों में खुशी भर खाकी ने भेजा घर---लॉकडाउन के बाद से हर दिन एक-एक साल की तरह गुजर रहा था। हर सुबह इस उम्मीद के साथ आंख खुलती कि शायद आज घर भेजने की घोषणा हो जाए। हालांकि, रात होते-होते यह उम्मीद आशंकाओं के बादलों से ढके आसमान की तरह स्याह हो जाती। लेकिन, मन ने हार नहीं मानी। हौसला बरकरार रहा और आखिर में वह दिन आ गया, जिसका दो माह से इंतजार करते-करते आंखें पथरा गई थीं। लेकिन, यह खुशी इतनी देर से आई कि तब तक जेब खाली हो चुकी थी। ऐसे में मित्र पुलिस एक बार फिर मददगार बनकर सामने आई और उदास मन में खुशियों के रंग भर दिए। यह व्यथा बिहार के उन 29 लोगों की है, जो मंगलवार को अपने बाकी साथियों के साथ घर के लिए रवाना हुए।लॉकडाउन से पहले बिहार से हजारों लोग रोजी-रोटी की तलाश में दून आए थे। लेकिन, कोरोना ने न सिर्फ रोजगार छीना बल्कि बेघर भी कर दिया। वो तो भला हो मित्र पुलिस का, जो लॉकडाउन की घोषणा के बाद दून में फंसे बिहार के इन लोगों को दो वक्त की रोटी मुहैया कराती रही। लेकिन, इस संकटकाल में स्वजनों की चिंता और खाली जेब सिर्फ यही गुहार लगा रही थी कि किसी तरह घर पहुंच जाएं। इस उम्मीद में थाना-चौकियों के खूब चक्कर काटे। सड़क पर भी उतरे। अब घर जाने के लिए ट्रेन की व्यवस्था हुई तो कई लोगों के पास टिकट खरीदने के लिए पैसे तक नहीं थे। ऐसे में ये लोग फिर मित्र पुलिस की चौखट पर पहुंचे।कैंट थाना क्षेत्र स्थित गोविंदगढ़ में 20 प्रवासी मजदूर ऐसे थे, जिनकी जेब में एक भी पैसा नहीं था। घर जाने को बेताब ये लोग कैंट थाने के एसओ संजय मिश्र से मिले और उन्हें अपनी समस्या बताई। थाने में तैनात पुलिसकर्मियों ने पैसे एकत्र कर उनके लिए ट्रेन की टिकट खरीदी और उन्हें घर के लिए रवाना किया। इसी तरह नेहरू कॉलोनी क्षेत्र में भी नौ लोग ट्रेन की टिकट खरीद पाने में अक्षम थे। उन्होंने एसओ दिलबर सिंह नेगी से गुहार लगाई। एसओ ने स्टाफ के सहयोग से पैसे जुटाए और श्रमिकों को घर भेजा। डीआइजी ने लिया व्यवस्था का जायजा---दून से ट्रेन के जरिये 402 लोगों को मणिपुर और 2308 लोगों को बिहार के बेगूसराय व अन्य स्थानों के लिए रवाना किया गया। प्रवासियों की घर वापसी से पूर्व बन्नू स्कूल में उनका मेडिकल और स्क्रीनिंग की गई। डीआइजी अरुण मोहन जोशी ने स्कूल में व्यवस्था का जायजा लिया। एसपी सिटी श्वेता चौबे, एसपी क्राइम लोकजीत सिंह, सीओ सदर अनुज कुमार और विवेक कुमार की देखरेख में सभी लोगों को रेलवे स्टेशन तक भेजा गया।
बेंगलुरु, छत्तीसगढ़ से आएंगे प्रवासी----
लॉकडाउन चार में दूसरे राज्यों में फंसे उत्तराखंड के लोगों की घरवापसी जारी है। इस कड़ी में बुधवार को बेंगलुरु व छत्तीसगढ़ में फंसे हुए लोगों को लेकर ट्रेन संचालित हो रही है। बेंगलुरु से लालकुआं के लिए मंगलवार को ट्रेन रवाना हो चुकी है। इसके अलावा मुंबई व चेन्नई के फंसे हुए यात्रियों को लाने के लिए अगले दो-तीन दिनों में स्पेशल ट्रेन चलाई जाएगी।
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