खरबूजे को देख खरबूजे ने भी अपना रंग बदला - श्याम सिंह रावत
जैसी कि आशंका थी केंद्र सरकार द्वारा कर्मचारियों और पेंशनधारियों का महंगाई भत्ता बढ़ाने पर रोक लगा देने से भाजपाशासित राज्यों में भी ऐसा ही किया जायेगा, सो आज कोरोना के बढ़ते संक्रमण के बीच उप्र. तथा मप्र. सरकारों ने भी कर्मचारियों और अधिकारियों के महंगाई भत्ते के भुगतान पर रोक लगा दी है।
उत्तर प्रदेश में 1 जनवरी, 20 से जून 21 तक की अवधि के डीए का भुगतान नहीं किया जायेगा। इसके अलावा 6 प्रकार के भत्तों का भुगतान भी बंद किए गए हैं। जिनमें सचिवालय भत्ता और पुलिस भत्ता भी शामिल है। माना जा रहा है कि योगी सरकार के इस निर्णय से प्रदेश के 16 लाख कर्मचारी प्रभावित होंगे। जबकि करीब डेढ़ साल तक कर्मचारियों को डीए का भुगतान नहीं होने से सरकारी खजाने में 4,050 करोड़ रुपये की बचत होगी।
मध्य प्रदेश सरकार ने भी लिया फैसला―
इससे पहले मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार ने भी केंद्र की तर्ज पर 10 लाख कर्मचारियों का डीए रोकने की बात कही थी। तब बताया गया था कि डीए पर 2021 तक ही कोई फैसला हो सकता है। प्रदेश की भाजपा सरकार पहले ही पांच फीसदी डीए के भुगतान पर रोक लगा चुकी है। अब डीए रोकने की बात आने पर कर्मचारी संगठनों में नाराजगी है और वे इस बात को लेकर सरकार का विरोध करने पर उतर आए हैं।
इससे पहले केंद्र सरकार ने कर्मचारियों और पेंशनधारियों के लिए महंगाई भत्ता बढ़ाने पर रोक लगा दी थी। सरकार ने एक जनवरी से 31 दिसंबर, 2020 तक बढ़ा DA नहीं देने का प्रस्ताव है। सरकार ने पिछले महीने ही केंद्रीय कर्मचारियों के महंगाई भत्ते में 4 फीसदी बढ़ोतरी की घोषणा की थी। डीए को 17 फीसदी से बढ़ाकर 21 फीसदी किया गया था। 1 जनवरी, 2020, 1 जुलाइ 2020 और 1 जनवरी 2021 से बढ़ने वाले महंगाई भत्ते पर रोक लगा दी गई है। इसके साथ ही आगे चलकर यह बढ़ा हुआ महंगाई भत्ता एरियर के तौर पर भी नहीं मिलेगा।
यह अभी तो शुरुआत भर है आगे और भी खरबूजे अपना रंग बदलेंगे, यह साफ दिखाई दे रहा है। पिछले छ: साल से आर्थिक विशेषज्ञ लगातार मोदी सरकार को चेतावनी देते आये हैं कि उनकी आर्थिक नीतियां देश के लिए घातक साबित होंगी लेकिन किसी की भी नहीं सुनी गई और नतीजा हर क्षेत्र में तबाही के रूप में सामने है। शिक्षा, चिकित्सा, आधारभूत ढांचा विकास, कृषि, उद्योग, अनुसंधान आदि ऐसा कौन-सा क्षेत्र है जिसने पिछली मनमोहन सरकार से बेहतर नतीजे दिये हैं।
जिस तरह रिजर्व बैंक से ऐतिहासिक रूप से धन लिया जा रहा है, वह देश की अर्थ-व्यवस्था के पूरी तरह खोखला हो जाने का परिचायक है। इसी के मद्देनजर यदि सरकार जल्दी ही आर्थिक आपातकाल की घोषणा कर दे तो कोई आश्चर्य नहीं होगा।
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