पुरानी यादें श्री सुरेंद्र कुमार जी की फेसबुक वॉल से
कोरोना कर्फ़्यू के कारण घर में क़ैद घरबंदी में अपने छात्र जीवन की देहरादून जेल की यात्रा याद आ गई ,D A V Coollege Dehra Doon में छात्र संघ उपाध्यक्ष रहने के दौरान एक आंदोलन में पुलिस ने दर्जनो संगीन धारायें लगा कर 10 April 1975 को जब मुझे जेल में लगभग एक माह तन्हाई सेल में रखा ,जहां मेरी बग़ल की सेल में तबका गैंगस्टर बारू सिंह भी था ,देहरादून के पुराने लोगों को बारू- भरतू गैंग वार याद होगी जिसमें कई लोगों की जान गई थी ,अपन भी दबंग छात्र नेता थे ,वो ज़माना था जब हम मेरठ विश्वविध्यालय से पहाड़ के सभी कालेज सम्बद्ध होते थे और DAV college की छात्र संख्या लगभग दो ढाई हज़ार में साठ प्रतिशत से अधिक पंजाब ,हरियाणा ,मेरठ मुज़फ़रनगर सहित उत्तरप्रदेश के भी तमाम छात्र कार्बाइन ,राइफ़ल ,टोप तमंचे लेकर आते थे प्रवेश तो आराम से मिल जाता ,एडमिशन लो परीक्षा देने आ जा फिर चले जाओ कोई रोक टोक नहीं , होस्टल कालेज के कैम्पस में होता था ,जहाँ क़ब्ज़ा बाहर के छात्रों का होता था ,याद है कि मैं और विवेकानंद खण्डूरी ,हर्ष थापा ,देवकी नंदन पांडेय इतिहासकार उनसे खूब मोर्चा लेते थे ,छात्र संघ चुनाव में college के अंदर -बाहर तो खुले आम संघर्ष की करनपुर की गलिया गवाह है छात्रसंघ चुनाव लोकल वरश आउट साइडर बन जाता था ,हमने उसे पंजाबी वरश पहाड़ी नहीं होने दिया , उनकी कार्बाइन ,राइफ़ल आदि का मुक़ाबला हम तो पाषाणक़ालीन युग के हथियारों यानी मात्र पत्थरो से कर उनके हथियार छीन लेते थे एक एसी मोर्चा बंदी में मुझे संगीन धारायें लगा कर मुझे पुलिस ने स्वागतसत्कार के साथ जेल में तन्हाई सेल में ठूश दिया ,बाद में तो गढ़वाल विश्वविधियालय निर्माण में स्वामी मनमथन -सुरेंद्र आर्य के साथ फिर उत्तरप्रदेश की सभी पार्टी की सरकारों के विरोध में जेल जाने का सौभाग्य मिला ,वो आदत राज्य आंदोलन में बहुत काम आइ गई बार जेल गए
सुरेंद्र आर्य जी को मैं ज़रूर सलाम करना चाहूँगा जिन्होंने छात्र जीवन गढ़वाल विश्वविध्यालय निर्माण में स्वामी मनमथन के साथ हमें दिशा दी ,भाई विवेकानंद खण्डूरी ,इतिहासकार देवकीनन्दन पांडेय जींजो हर संघर्ष में जम
कर साथ देने के लिये
कोरोना के विरोध मे घर में क़ैद एक क़ैदी की पुरानी यादें
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