फिर एक बार वही भावनात्मक हमला―श्याम सिंह रावत
फिर एक बार वही भावनात्मक हमला―
―देश से माफी मांगता हूं, मुझे पता है आप माफ करेंगे। ऐसे निर्णय लेने पड़े जिससे आपको दिक्कत हो रही है।
―खासकर गरीब भाई-बहन को लगता होगा कि कैसा प्रधानमंत्री है, हमें मुसीबत में डाल दिया। घर में बंद कर दिया।
―भारत जैसे 130 करोड़ आबादी वाले देश को बचाने को ये कठोर कदम उठाने थे, इसके अलावा कोई और रास्ता नहीं था।
―दुनिया की स्थिति देखकर लगता है कि लॉकडाउन ही एकमात्र रास्ता है।
―मानवता दिखाएं। कहीं गरीब दिखे तो पहले उसका पेट भरें। हिंदुस्तान यह कर सकता है। ये हमारे संस्कार हैं।
(―हम क्या कर रहे हैं, यह न पूछो, अपने आसपास मत देखो, डॉ. नीतीश गुप्ता और डॉ. बोरसे की सुनो-मानो!
―आप मानवता दिखाएं बस, हमसे कर्तव्य निभाने की उम्मीद न करें।)
कुल मिलाकर―
Look busy, do nothing and cry more!
यानी―व्यस्त दिखें, कुछ न करें और शोरगुल अधिक मचायें!
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