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Showing posts from March, 2020

फिर एक बार वही भावनात्मक हमला―श्याम सिंह रावत

फिर एक बार वही भावनात्मक हमला― ―देश से माफी मांगता हूं, मुझे पता है आप माफ करेंगे। ऐसे निर्णय लेने पड़े जिससे आपको दिक्कत हो रही है। ―खासकर गरीब भाई-बहन को लगता होगा कि कैसा प्रधानमंत्री है, हमें मुसीबत में डाल दिया। घर में बंद कर दिया। ―भारत जैसे 130 करोड़ आबादी वाले देश को बचाने को ये कठोर कदम उठाने थे, इसके अलावा कोई और रास्ता नहीं था। ―दुनिया की स्थिति देखकर लगता है कि लॉकडाउन ही एकमात्र रास्ता है। ―मानवता दिखाएं। कहीं गरीब दिखे तो पहले उसका पेट भरें। हिंदुस्तान यह कर सकता है। ये हमारे संस्कार हैं। (―हम क्या कर रहे हैं, यह न पूछो, अपने आसपास मत देखो, डॉ. नीतीश गुप्ता और डॉ. बोरसे की सुनो-मानो!  ―आप मानवता दिखाएं बस, हमसे कर्तव्य निभाने की उम्मीद न करें।) कुल मिलाकर― Look busy, do nothing and cry more! यानी―व्यस्त दिखें, कुछ न करें और शोरगुल अधिक मचायें!

पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत जी की फेसबुक वॉल से

#लॉकडाउन-  #चतुर्थ_अध्यायम्        कल रात सोने से पहले टी.वी. पर समाचार में लोगों को जत्थों में सड़कों पर पैदल, अपने गाँव जाते देखना, बहुत चिंता बढ़ा गया। इस समय सबसे शांत व सुरक्षित स्थान उत्तराखंड में जोशीमठ, कौसानी व मुनस्यारी हैं। रात लगभग 12:30 बजे माननीय पूर्व सांसद व बंगाल कांग्रेस के मूर्धन्य नेता, श्री डी.पी. राय जी का टेलीफोन आया, उनके कुछ लोग कौसानी में रुके हैं, पर्यटक हैं। फिर असम से टेलीफोन आया कि, उनके लोग मुनस्यारी में हैं। चिंता तब बड़ी जब लक्सर से माननीय पूर्व विधायक, श्री तस्लीम जी का टेलीफोन आया, वहां के श्री मांगेराम व दो और लोग जो जोशीमठ में काम करते हैं, हरिद्वार आना चाहते हैं, प्रश्न व्यवस्था या मदद का नहीं है। इस बीमारी का सबसे बड़ा बचाव है, जो जहां हैं, वहां रहें, वहीं मदद पहुंचे। मगर भय व अनिश्चय का मनोविज्ञान काम करने लगा है, यह चिंतनीय है। मैंने, प्रातः उठते ही मन में निश्चय ठाना है कि, लोगों को भरोसा दूंगा, जो जहां हैं , वहीं रहें इसकी सलाह भी दूंगा। पूजा से निवृत्त होकर इसी काम पर लगा हूँ। मेरे परिवार व रिश्ते के जो लोग जहां हैं, उन्हें वहीं रहने की सलाह

पुरानी यादें श्री सुरेंद्र कुमार जी की फेसबुक वॉल से

कोरोना कर्फ़्यू के कारण घर में क़ैद घरबंदी में अपने छात्र जीवन की देहरादून जेल की यात्रा याद आ गई ,D A V Coollege Dehra Doon में छात्र संघ उपाध्यक्ष रहने के दौरान एक आंदोलन में पुलिस ने दर्जनो संगीन धारायें लगा कर 10 April 1975 को जब मुझे जेल में लगभग एक माह तन्हाई सेल में रखा ,जहां मेरी बग़ल की सेल में तबका गैंगस्टर बारू सिंह भी था ,देहरादून के पुराने लोगों को बारू- भरतू गैंग वार याद होगी जिसमें कई लोगों की जान गई थी ,अपन भी दबंग छात्र नेता थे ,वो ज़माना था जब हम मेरठ विश्वविध्यालय से पहाड़ के सभी कालेज सम्बद्ध होते थे और DAV college की छात्र संख्या लगभग दो ढाई हज़ार में साठ प्रतिशत से अधिक पंजाब ,हरियाणा ,मेरठ मुज़फ़रनगर सहित उत्तरप्रदेश के भी तमाम छात्र कार्बाइन ,राइफ़ल ,टोप तमंचे लेकर आते थे प्रवेश तो आराम से मिल जाता ,एडमिशन लो परीक्षा देने आ जा फिर चले जाओ कोई रोक टोक नहीं ,  होस्टल कालेज के कैम्पस में होता था ,जहाँ क़ब्ज़ा बाहर के छात्रों का होता था ,याद है कि मैं और विवेकानंद खण्डूरी ,हर्ष थापा ,देवकी नंदन पांडेय इतिहासकार उनसे खूब मोर्चा लेते थे ,छात्र संघ चुनाव में college के