25 बैंकों के NPA खरीदने के लिए मोदी सरकार RBI पर फंड बनाने का दे रही है दबाव
मोदी सरकार स्वतंत्र भारत की पहली ऐसी सरकार कही जा सकती है जिसकी न तो कोई अकाउंटिबिलिटी है और न ही रिस्पांसबिलिटी है। यह भ्रष्ट और कॉरपोरेट का नौकर प्रधानमंत्री तानाशाहीपूर्ण ढंग से सत्ता का संचालन करना और विरोध में उठने वाली हर आवाज का लाठी के बल पर दमन कर देना ही जानता है। देश के बैंकिंग को तबाह करने से यह बाज नहीं आ रहा है, अब एक बार फिर बैंकों के फंसे हुए कर्ज—नॉन-परफॉर्मिंग एसेट (एनपीए) का भार घ टाने के बहाने स्ट्रेस एसेट फंड नाम से एक नई स्कीम लाई जा रही है। इसके तहत देश के 25 बैंकों के एनपीए को खरीदने के लिए आरबीआइ पर स्ट्रेस एसेट फंड बनाने का दबाव बनाया जा रहा है। मोदी सरकार बैंकों पर बढ़ते फंसे कर्ज (एनपीए) के भार को कम करने की तैयारी में है। इसके लिए स्ट्रेस एसेट फंड (Stress Asset Fund) स्कीम लाने की तैयारी की जा रही है। सरकार इस पर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआइ) के साथ कई दौर की बैठक कर चुकी है। बताया जा रहा है कि वित्त मंत्रालय देश के 25 बैंकों के नॉन-परफॉर्मिंग एसेट (एनपीए) को खरीदने के लिए आरबीआइ पर स्ट्रेस एसेट फंड बनाने का दबाव बना रही है। अगर ऐसा होता है तो एनपीए की मार